2025 में IIT Admission : हर इंजीनियरिंग छात्र IIT में Admission की उम्मीद रखता है। इस साल IIT Admission के लिए उपलब्ध सीटों की संख्या बढ़ी है, लेकिन लड़कियों की संख्या कम हुई है।
देश का प्रमुख इंजीनियरिंग संस्थान IIT है। हालाँकि बड़ी संख्या में छात्र इसमें प्रवेश पाने की इच्छा रखते हैं, लेकिन उनमें से बहुत कम संख्या में छात्राएँ हैं। पिछले छह वर्षों में, IIT में प्रवेश पाने वाली लड़कियों की संख्या में कोई खास वृद्धि नहीं हुई है। संयुक्त कार्यान्वयन समिति (JIC) द्वारा जारी नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, 2025 में IIT में लड़कियों के लिए केवल 18,188 सीटें उपलब्ध होंगी, जिनकी भागीदारी दर मात्र 20.15 प्रतिशत होगी। 2020 में, जब कुल सीटें 16,061 थीं, तब 19.90% यानी 3,185 छात्राओं ने प्रवेश लिया था।
वर्ष 2025 तक भी छात्राओं का अनुपात केवल 20.15% तक ही पहुंच
हर 5 लड़कों पर सिर्फ़ 1 छात्रा है। इसके अलावा, 2018 से सरकार और IIT प्रशासन लगातार छात्राओं की संख्या बढ़ाने के लिए “अतिरिक्त सीटें” जैसे कार्यक्रम चला रहे हैं। कुल सीटें लगातार बढ़ रही हैं – 2020 में 16,061 से बढ़कर 2025 में 18,188 हो गईं – लेकिन छात्राओं की हिस्सेदारी लगभग स्थिर रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि सिर्फ़ सीटें बढ़ाने से बदलाव नहीं आएगा, बल्कि स्कूली स्तर से लेकर सामाजिक सोच तक कई बदलाव करने होंगे।
IIT में प्रवेश: छह साल के आंकड़े IIT Admission की स्थिति को समझने के लिए 2020 से 2025 तक के आंकड़ों पर गौर करें तो तस्वीर और भी स्पष्ट हो जाती है।
2020: कुल 16,061 सीटें, लड़कियां 3,185 → 19.90%
2021: 16,296 सीटें, लड़कियां 3,213 → 19.72%
2022: 16,635 सीटें, लड़कियां 3,310 → 20.06%
2023: 17,385 सीटें, लड़कियां 3,422 → 19.70%
2024: 17,695 सीटें, लड़कियां 3,495 → 19.75%
2025: 18,188 सीटें, लड़कियां 3,664 → 20.15%
इन आंकड़ों से साफ़ है कि IIT प्रवेश प्रतिशत में बहुत मामूली वृद्धि हुई है। यह वृद्धि इतनी धीमी है कि बदलाव का असर दिखाई नहीं दे रहा है।
पुराने IITs: सुधार की दर बेहद धीमी
देश के पुराने और बड़े IITs की स्थिति उम्मीद से कमज़ोर है।
IIT बॉम्बे: 2020 में 20.04% छात्राएँ थीं, लेकिन 2025 में यह अनुपात गिरकर 19.57% हो गया।
IIT दिल्ली: यहाँ थोड़ा सुधार हुआ। 2020 में 20.45% और 2025 में 20.63 प्रतिशत।
IIT मद्रास: यह संस्थान बेहतर प्रदर्शन कर रहा है। 2020 में 20.72 प्रतिशत से बढ़कर 2025 में 21.09 प्रतिशत हो गया।
IIT खड़गपुर: यह सबसे निचले पायदान पर है। 2020 में 17.87% और 2025 में केवल 19.19%।
विशेषज्ञों का कहना है कि पुराने IIT संस्थानों में कंप्यूटर साइंस और इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे लोकप्रिय विषयों में प्रवेश पाने के लिए प्रतिस्पर्धा ज़्यादा है। अपेक्षाकृत कम लड़कियाँ शीर्ष रैंक हासिल कर पाती हैं। यही वजह है कि ये आँकड़े स्थिर बने हुए हैं।
नए IITs – सुधार की ओर कदम
हाल ही में स्थापित IIT में स्थिति थोड़ी बेहतर है। उदाहरण के लिए, आईआईटी तिरुपति में 2025 तक महिलाओं का प्रतिनिधित्व औसत से बढ़कर 21.57 प्रतिशत होने की उम्मीद है। इसी तरह, IIT जम्मू और IIT गोवा में लगभग 20% छात्राएँ प्रवेश पाने में सफल रहीं। यह दर्शाता है कि नए IIT अपने पूर्ववर्ती IIT की तुलना में अधिक आधुनिक और बेहतर सुविधाओं वाले हैं। इस वजह से, लड़कियाँ वहाँ प्रवेश लेने में सहज महसूस कर रही हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि सीटों की संख्या में मामूली वृद्धि इन आंकड़ों को बदलने के लिए पर्याप्त नहीं है।